धान का कटोरा छत्तीसगढ़ 36 भाजियों का गढ़ भी है

रायपुर। धान का कटोरा कहे जाने वाला छत्तीसगढ़ हरी-भरी भाजियों का भी गढ़ है। प्रदेश में भाजियों की 80 प्रजातियां एक समय पाई जाती थीं। इसमें 36 प्रकार की भाजियां ऐसी हैं जिन्हें आज भी लोग चाव से खा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कृषि वैज्ञानिकों ने शोध में इन भाजियों के तरह-तरह के फायदे भी बताए हैं।शोध में पाया गया है कुलथी भाजी से पथरी की बीमारी आसानी से दूर की जा सकती है। तो वहीं दूसरी ओर मास्टर भाजी और चरोटा में सर्वाधिक फायबर होता है जो पेट की बीमारियां दूर करता है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. जीडी साहू का मानना है कि गांव में आज भी करीब 36 प्रकार की भाजियां खाई जाती है। जिनमें प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। वहीं सब्जी बाजार के दुकानदारों का कहना है कि अब मेथी, पालक और चौलाई के अलावा अन्य भाजियां कम आ रही हैं। पुराने लोग ही तरह-तरह की भाजियों की मांग करते हैं।
प्रदेश की कुछ ऐसी भाजियां ऐसी हैं जिनके तने को काट कर अलग स्थान में उगाने वे उपज जाती हैं। इसमें से मास्टर और चरोटा ऐसी ही भाजियां हैं। इनके उत्पादन में किसान की लागत भी कम लगती है। कुछ भाजियां तो ऐसी है जो यहां की जमीन में स्वत: ही उग जाती है। मास्टर भाजी का स्वाद लगभग पालक की तरह ही होता है। वैज्ञानिक बताते हैं कि पालक में आयरन की मात्रा अधिक होती है, वहीं मास्टर भाजी में फाइबर अधिक होता है। इसके अलावा लाखड़ी भाजी पेट को साफ करने के लिए काफी फायदेमंद होती है।
प्रदेश में भाजियों की श्रेणी में गोभी के पत्ते, अरबी का पत्ते और मुनगा के पत्ते को भाजियों की श्रेणी में रखा गया है। वैज्ञानिक जीडी साहू बताते हैं कि प्रदेशवासी भाजियों को मौसम के अनुसार ज्यादा सेवन करते हैं। इसमें मूली की भाजी और लाल भाजी को गर्मीयों के दिनों में ज्यादा पसंद किया जाता है। कारण है कि मूली और लाल भाजी गर्मी के दिनों में शरीर का तापमान नियंत्रित रखती है। वैसे ठंड का मौसम ऐसा मौसम है जिसमें सभी प्रकार की भाजियां आसानी से मिल जाती हैं।
पालक, चौलाई, मैथी, मूली भाजी, प्याज भाजी, सरसों भाजी, भथुआ, खेड़ा, चरोटा, चुनचुनिया, गोभी भाजी, चना, लाखड़ी, कुसमी, मास्टर, अमारी, पटवा, चना भाजी, कुम्हड़ा भाजी, लाल भाजी, कांदा भाजी, करमत्ता, मूनगा भाजी, तिनपनिया, लाखड़ी, कूलथी, आलू भाजी, कांठ गोभी भाजी, खोटनी भाजी, जरी भाजी, झुरगा भाजी, चनौटी, पहुना, केनी, उरीद भाजी, अमुर्री भाजी।
आयुर्वेद के अनुसार भाजियों के फायदे
डॉ. हरिन्द्रमोहन शुक्ला के अनुसार कुलथी भाजी के निरंतर सेवन से किडनी में होने वाली पथरी को दूर किया जा सकता है। वहीं चना और मुनगा भाजी पेट साफ करने में सहायक होती है। गर्मी में प्याज भाजी और चरोटा के सेवन से लू से बचा जा सकता है।
थोक बाजार में भाजियों की खपत
राजधानी के थोक बाजार में करीब 12 टन भाजियों की खपत प्रतिदिन होती है। यहां आने वाले भाजियों की सीमावर्ती राज्यों महाराष्ट्र, ओड़िसा, उत्तरप्रदेश, झारखंड और मध्यप्रदेश में सप्लाई की जाती है।