फ़िल्म रिव्यू: टॉम क्रूज़ की 'ममी' बड़ी ख़तरनाक है!

'ममी' यानि पुरातन ईजिप्ट में मरे हुए लोगों को बैंडेज और मसाला लगाकर पिरामिड में सुरक्षित रखने का तरीका. लेकिन किसी भी शरीर को ममी बनाकर रखने की पहली शर्त है कि वो मर चुका हो. लेकिन जहां अपवाद नहीं, वहां फ़िल्म कैसे बनेगी!
तो फ़िल्म में अपवाद है कि इस बार एक महिला को ज़िंदा ही ममी बना दिया गया है और फ़िल्म में अपवाद हैं टॉम क्रूज़ जो बेहद औसत अभिनय कर रहे हैं.
पुराने ईजिप्ट और वहां से जुड़े अनसुलझे किस्से फ़िल्म निर्देशकों और कहानीकारों को बहुत आकर्षित करते हैं. पिरामिड के रहस्यों और जीवित होते 'ममी' पर पहली हॉलीवुड फ़िल्म 1932 में बनी थी. उसके बाद ऐसी फ़िल्में बनने का सिलसिला शुरू हो गया जिनमें कुछ विदेशी वैज्ञानिक ईजिप्ट और आस-पास के इलाकों में दफ़न राज़ खोजते हैं. 1998 से 2008 के बीच स्टीफ़न सौमर्स ने इसी विषय पर 3 फ़िल्मों की एक श्रृंखला बनाई थी और उन फ़िल्मों में ब्रैंडेन फ्रेज़र मुख्य भूमिका में थे. अरनॉल्ड वोल्डू और ड्वेन 'दि रॉक' जॉनसन ने अपनी उम्दा एक्टिंग से उस फ़िल्म फ्रेंचाइज़ी को सुपरहिट बनाया था.
लेकिन उन फ़िल्मों के एक दशक बाद रिलीज़ हुई एलेक्स कर्टज़मैन की यह फ़िल्म 'दि ममी' जिसमें टॉम क्रूज़, रसल क्रो और सोफ़िया बुटेला जैसे बड़े नाम शामिल हैं, ना कोई 'आउट ऑफ़ दि वर्ल्ड' अनुभव देती है, ना ही पुरानी 'ममी' श्रृंखला की फ़िल्मों का चार्म बरकरार रख पाती है.
कहानी: 2 स्टार
आज से 5000 सालों पहले ईजिप्ट में एक राजकुमारी रहती थी. आहमानेट. आहमानेट के पिता उस इलाके के राजा थे. उन्होंने अपनी बेटी को यकीन दिलाया था कि उनके बाद वही उस इलाके की महारानी बनेगी. आहमानेट को सत्ता और ताकत का नशा था. राज्य की अगली शासक बनने का उसपर जुनून सवार हो गया. लेकिन फिर महाराज की नई पत्नी ने एक बेटे को जन्म दिया. अब आहमानेट का साम्राज्य महाराज के इस नए जन्मे बेटे को मिलता.
आहमानेट गुस्से से पागल हो गई. उसने मौत के देवता 'सेथ' को प्रसन्न किया और असीम बुरी ताकतों से लैस हो गई. उसने अपने पिता, उनकी नई पत्नी और पैदा हुए बेटे को मार डाला, आहमानेट को रोकने के लिए उसे ज़िन्दा ही ममी वाले बैंडेज में लपेट दिया और ज़िन्दा हालत में एक ताबूत में बंद कर दिया.
5000 साल बाद निक यानि टॉम क्रूज़ और वेल यानि जेक जॉनसन को एक गुप्त खज़ाने का नक्शा मिलता है. उस खज़ाने की खोज में वो लोग वहां पहुंच जाते हैं, जहां 5000 साल पहले आहमानेट को दफ़नाया गया था. ज़ाहिर है की निक अपनी हीरोपंती का परिचय देते हुए आहमानेट के ताबूत को आज़ाद कर देता है. इसके बाद हादसों का सिलसिला शुरू होता है. रेत का भयंकर तूफ़ान, हवाई जहाज़ का इंजन खराब, चमगादड़ों की फ़ौज और हीरो के पीछे पड़ जाती है 'ममी' और ये वाली 'ममी' सचमुच में ख़तरनाक है.
एक्टिंग: 3 स्टार
फ़िल्म का सरप्राईज़ पैकेज हैं रसल क्रो, रसल आजकल गेस्ट अपीरियेंस में ही नज़र आते हैं चाहे वो सुपरमैन हो या दि ममी लेकिन जितनी देर वो स्क्रीन पर रहते हैं, प्रभावित करते हैं. एक शैतानी आत्मा को अपने अंदर दबाए एक आदमी के किरदार में वो कन्विंसिंग लगते हैं.
लेकिन निराश करते हैं टॉम क्रूज़, आप टॉम को देखते ही समझ जाएंगे की उनको पता नहीं है कि उन्हें क्या करना है. इस फ़िल्म में उनकी एक्टिंग के दौरान 'क्वेश्चन मार्क' का भाव उनके चेहरे पर दिखा है और ज़ाहिर है कि इसके चलते उनकी एक्टिंग बहुत ही औसत है. दरअसल 'मिशन इंपॉसिबल' और 'जैक रीचर' जैसी फ़िल्मों का हिस्सा रहे इस एक्शन हीरो को एक बेबस और डरे हुए आदमी का किरदार निभाने में तो परेशानी होनी ही थी.
ममी के किरदार में सोफ़िया का मेकअप बेहतरीन है. नीले-स्लेटी रंग के कहीं-कहीं वो आपको फ़िल्म 'अवतार' के किरदारों की याद दिलाती हैं. उनका चीखना, बेबस लगना, फिर पूरी ताकत में आ जाना कमाल लगा है.
ग्राफ़िक्स: 3 स्टार
हॉलीवुड फ़िल्मों के ग्राफ़िक्स औसतन अच्छे होते हैं. लेकिन इस फ़िल्म में चलते-फिरते कंकाल और रेत के बवंडरों में कोई भी नयापन नहीं है और ग्राफ़िक्स औसत से भी औसत हैं.
फ़िल्म में 4 अलग-अलग फ़्रेम हैं. 5000 साल पुराने ईजिप्ट के लिए सेपिया टोन है, ईराक में बालू और तूफ़ान के लिए वाइड एंगल्स हैं, लंदन की सड़कें और इमारतें हैं और ज़मीन के नीचे खुदाई के लिए नीला-काला टोन है. फ़िल्म ख़ूबसूरत है लेकिन कुछ भी अलग नहीं है. अगर आप हॉलीवुड फ़िल्में देखते रहे हैं तो आप खुद ही सोचने लगेंगे कि ऐसा दृश्य मैंने पहले भी किसी फ़िल्म में देखा है.
कुल-मिलाकर: 2.5 स्टार
पुरातत्त्व से जुड़ी और हॉरर फ़िल्में पसंद करने वालों के लिए यह फ़िल्म निराश करने वाली है. टॉम क्रूज़ 'मिशन इम्पॉसिबल' फ़िल्मों का भार इस फ़िल्म पर भी डालते हुए नज़र आए. एक्शन अच्छा है लेकिन कंकालों से लड़ाई के कुछ सीन बहुत लम्बे और खिंचे हुए लगते हैं.
इस फ़िल्म के ट्रेलर ने इसके हॉरर होने की जितनी उम्मीदें जगाई थीं, फ़िल्म ने वो उम्मीदें चकनाचूर कर दीं. ये 'स्कॉर्पियन किंग' वाली 'ममी' की यादें ताज़ा नहीं करती, आहमानेट कहीं-कहीं डराती है लेकिन डर से ज्यादा उसपर दया आती है. विदेशों में भी इस फ़िल्म को अच्छे रिव्यू नहीं मिले है और कुल मिलाकर हम भी फ़िल्म को 2.5 स्टार्स दे रहे हैं.